गिलहरी की कहानी: रामायण की प्रेरक कथा | Squirrel Story in Hindi

 इंटरनेट पर गिलहरी से जुड़ी कई कहानियाँ मिल जाती हैं, लेकिन आज हम आपको रामायण काल की एक बेहद अनोखी और प्रेरणादायक कथा सुनाने वाले हैं। यह छोटी-सी गिलहरी, अपने छोटे-से प्रयास से पूरी वानर सेना का ध्यान खींच लेती है। अगर आप बच्चों में धर्म, संस्कार और करुणा की भावना जगाना चाहते हैं, तो यह कहानी उनके लिए बिल्कुल सही है।

रामायण की गिलहरी कहानी में भगवान राम, हनुमान और वानर सेना द्वारा समुद्र पर पुल बनाते समय छोटी गिलहरी का योगदान दिखाता हुआ दृश्य।

बहुत समय पहले, जब रावण माता सीता को छल से लंका ले गया, तब हनुमान जी समुद्र पार कर सीता माता का पता लगाकर लौटे। भगवान राम माता सीता को वापस लाने के लिए समुद्र पार करना चाहते थे, लेकिन विशाल सेना को पार करवाना आसान नहीं था।

समुद्र विशाल था और कोई मार्ग नहीं था — ऐसे समय में भगवान राम की वानर सेना ने समुद्र पर एक पुल बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने बड़े-बड़े पत्थरों पर “राम” नाम लिखकर उन्हें समुद्र में डालना शुरू किया। अद्भुत बात यह थी कि राम नाम के कारण वे भारी पत्थर डूबने के बजाय पानी पर तैरने लगे। यह देखकर सभी वानर उत्साह से भर गए और पुल निर्माण में लग गए।

गिलहरी ने भी निभाई अपनी भूमिका

उसी समय वहाँ एक छोटी-सी गिलहरी भी मौजूद थी। वह अपने नन्हें-से मुंह में छोटे-छोटे कंकड़ उठाती और समुद्र किनारे जाकर पानी में डालती रहती। उसका मन भी चाहता था कि वह इस दिव्य कार्य में अपना योगदान दे सके।

काफी देर बाद एक वानर ने उसे ऐसा करते देखा और हँसते हुए बोला— “अरे छोटी गिलहरी! तुम यह क्या कर रही हो? बड़े-बड़े पत्थरों के बीच कहीं दब जाओगी। यहाँ से दूर हट जाओ।”

गिलहरी शांत स्वर में बोली— “मैं भी पुल बनवाने में मदद कर रही हूँ। जैसे आप बड़े पत्थर डालते हैं, वैसे ही मैं छोटे-छोटे कंकड़ भर रही हूँ।”

यह सुनकर वानर उसे चिढ़ाते हुए बोला— “क्या तुम्हें लगता है कि पुल इन कंकड़ों से बनेगा? यह काम तुम्हारे बस का नहीं है।” यह सुनकर गिलहरी का छोटा-सा दिल दुखी हो गया। उसे लगा कि शायद उसका प्रयास व्यर्थ है।

भगवान राम का स्नेह

भगवान राम दूर से यह सब देख रहे थे। उन्होंने तुरंत गिलहरी को अपने पास बुलाया। वे मुस्कुराए और बोले— “तुम्हारा प्रयास भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना इन वानरों का। तुमने जो कंकड़ डाले हैं, वे बड़े पत्थरों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम कर रहे हैं। हर छोटा योगदान बड़े कार्य को सफल बनाता है।” वानर सेना ने भी यह देखकर गिलहरी की प्रशंसा की और उसके योगदान को स्वीकार किया।

इसके बाद भगवान राम ने प्रेम से अपनी उंगलियाँ गिलहरी की पीठ पर फिरायीं। माना जाता है कि उसी स्पर्श से गिलहरी के शरीर पर जो तीन रेखाएँ दिखाई देती हैं, वे भगवान राम की उंगलियों के निशान हैं — उनके आशीर्वाद और प्रेम का प्रतीक।

सीख (Moral of the Story)

👉 किसी भी कार्य में छोटा-बड़ा योगदान नहीं होता।

👉 निष्ठा और भाव से किया गया हर प्रयास मूल्यवान होता है।

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